दिन रात इबादत करें हम और बात है,
हर रोज़ बग़ावत करो तुम और बात है !
हसरत ख़त्म होती ही नहीं दीदार-ए-यार की,
नज़रों में ही बस जाओ तुम तो और बात है !
हम तो तुम्हारी राह में पलकें बिछाएं हैं,
बस हँस के गुज़र जाओ तुम तो और बात है !
वादे तुम्हारे आज भी जीने की वजह हैं,
वादों से मुकर जाओ तुम तो और बात है !
वैसे तो पा ही जाऊँगा मंजिल मैं एक दिन,
पर साथ अगर आओ तुम तो और बात है !
गज़लों से दिल्लगी "अजित" बेहद ख़राब है,
गज़लों में बिखर जाओ तुम तो और बात है !
3 टिप्पणियां:
बहुत खूब अजित ,
वैसे तो तुम लिखते हो कभी कभी अजित,
जब लिखने लगो बराबर तो कुछ और बात है!
very nice sir ji,kafi dino k bad aaye lekin der aaye durust aaye.
वादे तुम्हारे आज भी जीने की वजह हैं,
वादों से मुकर जाओ तुम तो और बात है !
bahut pasand aaya.
वाह...अब और क्या बात बची है....
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