मंगलवार, 12 जनवरी 2010

तो और बात है...

दिन रात इबादत करें हम और बात है,
हर रोज़ बग़ावत करो तुम और बात है !

हसरत ख़त्म होती ही नहीं दीदार-ए-यार की,
नज़रों में ही बस जाओ तुम तो और बात है !

हम तो तुम्हारी राह में पलकें बिछाएं हैं,
बस हँस के गुज़र जाओ तुम तो और बात है !

वादे तुम्हारे आज भी जीने की वजह हैं,
वादों से मुकर जाओ तुम तो और बात है !

वैसे तो पा ही जाऊँगा मंजिल मैं एक दिन,
पर साथ अगर आओ तुम तो और बात है !

गज़लों से दिल्लगी "अजित" बेहद ख़राब है,
गज़लों में बिखर जाओ तुम तो और बात है !

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत खूब अजित ,
वैसे तो तुम लिखते हो कभी कभी अजित,
जब लिखने लगो बराबर तो कुछ और बात है!

Unknown ने कहा…

very nice sir ji,kafi dino k bad aaye lekin der aaye durust aaye.
वादे तुम्हारे आज भी जीने की वजह हैं,
वादों से मुकर जाओ तुम तो और बात है !
bahut pasand aaya.

चण्डीदत्त शुक्ल-8824696345 ने कहा…

वाह...अब और क्या बात बची है....