मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

अधूरी कविता...

भीगी पलकें
यूं हीं छलकें

बहकर आ गए सारे ग़म
गीले अक्षर भाउक शब्द
कागज़ हो गया पूरा नम
उफ्फ
फिर कविता अधूरी रह गई...
तुम्हारी याद भी न.....।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

अधूरी नहीं बल्कि बेहतरीन कविता