बुधवार, 24 जुलाई 2013

अजी छोड़िए

अजी छोड़िए
कौन सजाए सपने फिर से
पलके बोझिल कौन करे
कौन लगाए सांस पे पहरे
कौन जले तिल तिल
जागे कौन रात भर फिर से
कौन लगाए दिल
अजी छोड़िए
अब मोहब्बत की बात
आइए जीते हैं यायावर बनकर...

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

वाह ....