शनिवार, 3 जुलाई 2010

लो आया बरसात का मौसम।।

लो आया बरसात का मौसम
रूमानी जज़्बात का मौसम।
दिलवालों के साथ का मौसम
अंगड़ाई की रात का मौसम।।

मद्धम मद्धम बूंदा बांदी
प्रेम रंग में भीगी वादी
दो दिल नजदीक आ रहें
ये शीरी फ़रहाद का मौसम।
लो आया बरसात का मौसम।।

दूर हुई सबकी नासाज़ी
शुरु दिलों की सौदेबाज़ी
उसका ले लो अपना दे दो
फिर देखो क्या ख़ास है मौसम।
लो आया बरसात का मौसम।।

तन भीगा है मन भी भीगा
संग संग सारा यौवन भीगा
और अगर मनमीत साथ हो
फिर तो लल्लनटाप है मौसम।
लो आया बरसात का मौसम।।
लो आया बरसात का मौसम।।

2 टिप्‍पणियां:

abhishek ने कहा…

उम्मीद से अच्छा नही है ।

Unknown ने कहा…

उम्र के 28 साल बीतने को हैं...28 साल से इस रुमानी मौसम में जल रहें हैं..आज तक हमारी अगन पर तो मोहब्बत की फुहार नहीं पड़ी...हमको तो इस मौसम में आह ही भरना है...फिर भी एक और खूबसूरत कविता....।