उसे इंतज़ार है
सर्द हवाओं का
जो रोम रोम में भर दे
ठंडक का सैलाब
और खड़े कर दे रोंगटे
फिर
कोई स्पर्श
आगोश में लेकर
बिठा दे सारे के सारे खड़े रोंगटे।
उसे इंतज़ार है
उन तेज बेशर्म हवाओं का
जो उड़ा दे उसकी ओढ़नी
बगैर ये जाने
कि
कहीं कोई निहार तो नहीं रहा
सहमें बदन को।
उसे इंतज़ार है
मेरे बदलने का
उसे लगता है
आज नहीं तो कल
मैं बदल जाऊंगा
आखिर
मौसम भी तो बदलते रहते हैं।
अब कैसे बताऊं उस बकलोल को
कि
इंतज़ार तो मुझे भी है
वैसे ही
जैसे उसे है
फर्क सिर्फ इतना
कि
उसे मेरा है
मुझे किसी और का।!
4 टिप्पणियां:
फर्क सिर्फ इतना
कि
उसे मेरा है
मुझे किसी और का।!
-हाय! ये इन्तजार...उम्दा अभिव्यक्ति!
arre vaah dada...
intzaar behad khubsoorat hai...
lekin hai kiske ye toh bataiye!
It's amazing Boss mai toh aap ki kayal hogyi par aapko jeska itzar hai vo bhut khus nasib hai Best of Luck
sahi bat kahi madhuri ne...
really maza aa gaya...
!
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