ज़िंदगी कट रही थी रोज़ का रो़ज़,जस का तस,मैंने समझने की कोशिश की तो पन्ने बनने लगे। आप भी पलटें और रुबरु हों मेरी ज़िंदगी से।
बुधवार, 3 नवंबर 2010
मिस यू........
आज की सुबह कुछ अलग थी,रोज़ से अलग... घर से ऑफिस के लिए निकला, रोज़ की तरह बाहर न तो वाहनों की चीख पुकार थी, न ही धुंआ धक्कड़...बाहर फिज़ाओं में अजीब सी रुमानियत थी.. गुनगुनी ठंड का एहसास रोमैंटिक करने पर तुला हुआ था...ऑफिस की गाड़ी सड़क पर मेरा इंतज़ार कर रही थी,मैं जाकर गाड़ी में बैठ गया.... नोयडा से मैं और ड्राइवर दिल्ली अपने ऑफिस के लिए चल दिए...ड्राइवर ने म्युजिक आन कर दिया,गाड़ी के अंदर मद्धम सा संगीत तैरने लगा...ये तब का सगींत था जब अजय देवगन,आमिर खान,शाहरुख खान और सुनील शेट्टी जवान हुआ करता थे,बॉलीवुड में इनकी तूती बोलती थी,और 90 प्रतिशत फिल्में रोमैंटिक बनती थीं... गाने भी आशिकों के लिए होते थे, कुछ ऐसा ही संगीत बज रहा था इस वक्त उस गाड़ी में, जिसमें मैं बैठा हुआ था...पहला गाना, हो गया है तुझको तो प्यार सजना,लाख कर ले तू इंकार सजना...दूसरा,मुझसे मोहब्बत का इज़हार करता,काश कोई लड़का मुझे प्यार करता...तीसरा, तुझे देखा तो ये जाना सनम,प्यार होता है दीवाना सनम...चौथा,ये रात और ये दूरी तुझसे मिलना है ज़रुरी कि दिल मेरा धक धक डोले,दीवाना लिए जाए हिचकोले...इसी तरह कुछ कुछ होता है,मोहरा,दिलवाले दिलजले,इश्क, दिल और उस दशक के कई सुपरहिट गाने...धीरे धीरे ऑफिस का सफ़र ख़त्म हो रहा था लेकिन दिलो दिमाग पर एक अजीब सी खुमारी छाती जा रही थी,कभी कॉलेज के दिन याद आ रहे थे,कभी दोस्तों का साथ और कभी एक ऐसी याद मन में हिलोरे मार रही थी जिसे खुद भी नहीं समझ पा रहा था कि ये किसकी याद है...ऑफिस आ गया हूं लेकिन स्थिति वही है समझ में नहीं आ रहा कि कौन है वो? किससे कहूं कि मिस यू........
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4 टिप्पणियां:
लफ्जों के बहाने दिल की तस्वीर दिखाने की कोशिश... माशा-अल्लाह, खूब लिखा है आपने...!
bahut bahut barhiya..... !!! kuch seemit shabdo mein dil ki baat bata dena, aur kisi anjaan ko miss karna,.... its really nice...
जज्बात पे काबू हो , वो भी जवानी में. तूफान से कहते हो चुपके से निकल जाये ।
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